Wednesday, 15 June 2016

251 रुपये वाले फ्रीडम 251 फोन की डिलिवरी 28 जून से शु

रिंगिंग बेल्स प्राइवेट लिमिटेड सबसे सस्ता एंड्रॉयड फोन 'फ्रीडम 251' बनाने वाली चर्चित कंपनी ने दावा किया है कि 28 जून से कंपनी ग्राहकों को हैंडसेट की डिलिवरी शुरू कर देगी। डिलिवरी उन ग्राहकों को की जाएगी जो इसके लिए रजिस्ट्रेशन करा चुके हैं।
कंपनी के निदेशक मोहित गोयल ने ने पीटीआई को बताया, "हम पहले भुगतान के आधार पर कैश ऑन डिलिवरी के लिए 28 जून से ग्राहकों को फ्रीडम 251 फोन डिलिवर करना शुरू करेंगे।"
गौरतलब है कि रिंगिंग बेल्स ने फरवरी में अपनी वेबसाइट के माध्यम से फ्रीडम 251 की बिक्री शुरू की थी। 251 रुपये की कीमत वाला यह एंड्रॉयड फोन काफी विवाद में रहा, रिंगिंग बेल्स को एक पोंजी कंपनी भी बताया गया। इसके बाद भी संभावित खरीदारों से भारी प्रतिक्रिया के कारण दो दिन की बिक्री के दौरान वेबसाइट क्रेश हो गई। कंपनी ने दावा किया है कि वेबसाइट क्रेश होने के बावजूद भी 30,000 ग्राहकों ने फोन बुक किया था

यह है दुनिया का पहला कंप्यूटर, 2000 साल है पुराना


दुनिया का पहला कंप्यूटर है जोकि करीब 2000 साल पुराना है आज चर्चा का विषय बना हुआ है। शोधकर्ताओं का कहना है कि यह कंप्यूटर ना सिर्फ प्राचीन यूनानियों के लिए सूर्य, चंद्रमा और ग्रहों की चाल चार्ट तैयार करने में मदद करता था, बल्कि यह भाविष्य बताने वाली डिवाइस के तौर पर भी इस्तेमाल किया जाता था।
2,000 साल पुराना खगोलीय कैलकुलेटर, एक एंटीकाईथेरा सिस्टम है। यह लगभग 60 ई.पू. सौर और चंद्र ग्रहणों ट्रैक करने के लिए प्राचीन यूनानियों द्वारा इस्तेमाल की एक प्रणाली है।
इसको 1901 में एंटीकाइथेरा के यूनानी द्वीप के जहाज से प्राप्त किया गया था जो जहाज तबाहा हो चुका था, लेकिन एक दशक लंबे अध्ययन के बाद ही अब नए परिणामों की घोषणा की गई है।
हालांकि शोधकर्ताओं ने पहले अपने आंतरिक तंत्र पर ध्यान केंद्रित किया था, अब इसकी बाहरी सतहों के शेष टुकड़े पर अध्ययन करने के लिए प्रयास किया जा रहा है।
माइक एडमंड्स, वेल्स में कार्डिफ विश्वविद्यालय के खगोल भौतिकी के प्रोफेसर जो अनुसंधान परियोजना टीम का हिस्सा हैं ने कहा, "इस बात की  पुष्टि हो चुकी है कि यह मशीन ग्रहों के साथ ही आकाश में सूर्य और चांद की स्थिति दिखाने का काम करती है।" 
एंटीकाईथेरा सिस्टम के शेष टुकड़े वर्तमान में राष्ट्रीय पुरातत्व संग्रहालय एथेंस में संरक्षित हैं

Wednesday, 8 June 2016

नया कंप्यूटर खरीदने से कुछ बातों पर ध्‍यान दें


How to Buy a New Computer Tips in Hindi

चुकिं कंप्यूटर क्षेत्र में रोज नई तकनीकेँ बाजार मेँ आ रही है इसलिए यह फैसला करना कि कौन सा कंप्यूटर खरीदा जाए कौन सा कंप्यूटर अच्छा है बहुत मुश्किल होता है, अगर अाप बाजार से नया कम्‍प्‍यूटर ख्‍ारीदने की सोच रहे हैं तो खरीदारी से पहले कुछ बेसिक बातेँ लें हो सकता है कि आपकी कंप्यूटर की खरीदारी आसान हो जाये - 


क्या लें लेपटॉप या डेस्कटॉप

लैपटॉप बेहतर है या डेस्‍कटॉप, इस विषय पर भी बहुत लम्‍बी बहस हो सकती है। दोनों की ही अपनी-अपनी विशेषतायें हैं साथ ही कुछ परेशानियॉ भी जुडी हुई हैं, जैसे कि डेस्‍कटॉप को आप लैपटॉप की तरह कहीं भी बैग में रखकर ले जा नहीं सकते हैं, ऐसे ही लैपटॉप का की-बोर्ड और माउस खराब होने पर बाजार से तुरंत खरीदकर अपना काम शुरू नहीं कर सकते हैं। फिर ऐसे में कौन बेहतर है और किसका चुनाव करना चाहिये, सीधी सी बात है डेस्‍कटॉप देखने में भले ही भारी भरकम और बडा होता है लेकिन उसका मेंटेनेंस उतना ही सस्‍ता और अासान होता है जबकि इसके विपरीत लैपटॉप का मेंटेनेंस कहीं मॅहगा होता है, लैपटाॅप, डेस्‍कटॉप के मुकाबले एक नाजुक उपकरण है, लेकिन पोर्टेबल भी है। तो अगर आपके काम से हिसाब से आपको लगता है कि आपको ऐसे पोर्टेबल उपकरण की आवश्‍यकता है जो आपके साथ कहीं जा सके तो लैपटॉप लें, अगर नहीं तो आप डेस्‍कटॉप का चुनाव करें। 

प्रोसेसर

बाजार में आजकल बहुत उन्‍नत किस्‍म के प्रोसेसर उपलब्‍ध है, जैसे कोर आइ5, कोर आइ7 अगर अाप घरेलू यूजर हैं तो आपको इन प्रोसेसर की गति का अन्‍तर पता भी नहीं चलेगा, घरेलू काम के लिये आप कोर आइ3 या ड्यूल कोर का भी चुनाव कर सकते हैं, कोर आइ5, कोर आइ7 के मुकाबले यह काफी सस्‍ते होते हैं।


रैम 

रैम आपके कंप्‍यूटर को वर्किग स्‍पेस देती है, अगर सीधी भाषा में कहें तो आपके कंप्‍यूटर रैम जितनी ज्‍यादा है हैंग होने की संभावना उतनी ही कम होती है, वैसे आजकल 2 GB से कम तो किसी लैपटॉप अौर कंम्‍प्‍यूटर में आ ही नहीं रही है, लेकिन अगर आप और भी अच्‍छी स्‍पीड चाहते हैं तो आप  4 GB रैम का चुनाव कर सकते हैं।

ग्राफिक कार्ड

सभी मदरबोर्ड के साथ ही ग्राफिक कार्ड इनबिल्‍ट आता है, जिससे आप बेव ब्राउजिंग, मूवी और गेम्‍स का अानन्‍द लैपटॉप उठा पाते हैं, इसलिये अगर आपको अपने रोजमर्रा के काम जैसे एम0एस0 ऑफिस के अलावा बेव ब्राउजिंग, मूवी और गेम्‍स खेलने हैं तो आपको ग्राफिक कार्ड के बारे में ज्‍यादा सोचने के जरूरत नहीं है। 

हार्ड डिस्क ड्राइव

घर और ऑफिस के काम में बडा ही अंतर होता है। ऑफिस में आप ज्‍यादातर वर्ड, एक्‍सल जैसी एप्‍लीकेशन पर काम करते हैं, इनकी फाइलें ज्‍यादा जगह नहीं घेरती हैं लेकिन घर में आप कंप्‍यूटर में काम के साथ-साथ गेम्‍स, फोटो, मूवी भी स्‍टोर करते हैं, जिसके लिये आपको ज्‍यादा स्‍पेस की जरूरत होती है। वैसे भी अगर आप केवल अब मोबाइल के फोटाे और वीडियो की क्‍वालिटी भी हाई होती जा रही है और अगर आप उनके फोटो और वीडियो भी कंप्‍यूटर में स्‍टोर करें तो आपको ज्‍यादा स्‍पेस वाली हार्डडिस्‍क का चुनाव करना होगा,  इसलिये हार्ड डिस्क ड्राइव का चुनाव बडा ही सोच समझकर करें, आजकल 500जीबी से लेकर 2000 जीबी तक की हार्डडिस्‍क बाजार में उपलब्‍ध है। 

स्‍क्रीन साइज 

बहुत से व्‍यक्ति लैपटॉप का चुनाव स्‍क्रीन साइज से करते हैं, लेकिन लैपटॉप का चुनाव स्‍क्रीन साइज को देखकर कभी ना करें, एक तो स्‍क्रीन साइज बडा होने से लैपटॉप भारी हो सकता है, साथ ही अगर डिस्प्ले कम रेज्योलूशन वाला हुआ तो कंप्यूटिंग एक्सपीरिएंस खराब भी हो सकता है। इसलिये अच्‍छे रेज्योलूशन वाला स्‍क्रीन ही पसंद करें, अगर अच्‍छा दिखाई नहीं दिया तो आपका पैसा वेस्‍टेज ही समझिये। स्क्रीन रेज्योलूशन जरूर देखें। डेस्‍कटॉप के लिये आप अपनी सुविधानुसार स्‍क्रीन साइज का चुनाव कर सकते हैं, वैसे मीडियम साइज 18.5 इंज का डिस्‍प्‍ले बिलकुल सही होता है, लेकिन अगर आपको कंम्‍प्‍यूटर पर मूवी देखने का शौक है या आप उस पर टीवी ट्यूनर लगाकर टीवी देखना चाहते हैं तो 22 इंच का साइज पर्याप्‍त है।

वाईफाई कनैक्टिविटी 

इन्‍टरनेट प्रयोग करने के लिये वाई फाई नेटवर्क आम बन गया है, वाई फाई की सहायता से इंटरनेट श्‍ोयर करना भी बहुत आसान हो गया है अब अाप किसी भी फोन को वाई-फाई राउटर या हॉटस्‍पाट में बदलकर आसानी से इंटरनेट शेयर कर सकते हैं, इतना ही नहीं आप अन्‍य उपकरणों को भी वाई फाई की सहायता से कमाण्‍ड आदि दे सकते हैं, अब तो वाई फाई प्रिंटर का भी चलन शुरू हो गया है, वाई फाई से ब्‍लूटूथ की तुलना में कई गुना तेजी से डाटा ट्रान्‍सफर किया जा सकता है, यह 1 सेकेण्‍ड में 60 MB डाटा ट्रान्‍सफर कर सकता है, इसलिये कंप्‍यूटर और लैपटॉप खरीदने से पहले यह जरूर चैक करें कि उसमें वाईफाई कनैक्टिविटी है या नहीं। 

बिना नाम का फोल्डर बनायें और कारण भी जानें

How To Create A Folder Without Name And find out the reason

कंप्‍यूटर में नया फोल्डर या फाइल बनाने के साथ उसको नाम भी देना पडता है, ताकि उसमें जब किसी फाइल को रखा जाये तो आसानी से खोजा सके, लेकिन एक तरीका ऐसा भ्‍ाी है जिससे बिना नाम का फोल्डर या फाइल बनाई जा सकती है, ऐसा बहुत से लोग करते भी हैं, लेकिन क्‍या वाकई में इस कंप्‍यूटर बिना नाम का फोल्डर या फाइल बनाता है या यह हमारा भ्रम है आइये जानते हैं - 

किसी फाइल या फाेल्‍डर को बिना नाम के बनाना-

फोल्‍डर बनाने के लिये उसे कोई ना कोई नाम देना पडता ही है, लेकिन एक ट्रिक है जिससे आप बिना नाम का फोल्‍डर बनाकर अपने दोस्‍तों को चकित कर कर सकते हो,
  • इसके लिये डेस्‍कटॉप पर किसी जगह पर राइट क्लिक कीजिये 
  • नया फोल्डर या फाइल बनाईये या आप पहले से बने किसी फोल्‍डर पर भी यह प्रयोग कर सकते हैं। 
  • माउस से राइट क्लिक कीजिये। 
  • अब रिनेम कीजिये। 
  • नाम टाइप करने के बजाये की-बोर्ड से Alt+ 160 या Alt + 255 दबाइये और एन्‍टर कीजिये। 
  • अगर आप लैपटॉप इस्‍तेमाल कर रहे हैं और उसमें न्‍यूमैरिक की-पैड नहीं है तो अलग से की-बोर्ड लगा लें।
  • तैयार है आपका बिना नाम फोल्‍डर और फाइल 

जानें यह ट्रिक काम कैसे करती है ?

यदि आप हिन्दी टाईपिंग जानते हैं तो आपको एक बात जरूर मालूम होगी और वह यह कि हमको हिन्दी टाईपिंग करते समय बहुत सारे ऐसे अक्षरों या चिन्हों की आवश्यकता पड़ती है जो साधारणत्यः Alphabetical keys से प्राप्त नहीं किए जा सकते। उसके लिये शार्टकट की का प्रयोग किया जाता है। उदाहरण के लिए हिन्दी टाईप करते समय यदि आपको एक Small Bracket लाना होता है तो आपको Alt key  के साथ में 188 और Alt key  के साथ 189 को दबाना होगा। उसी तरह से आप एमएस वर्ड या कोई अन्‍य टैस्‍क्‍ट एडीटर खोलें और उसमें इंग्‍िलश फाण्‍ट सेटकर लें और अब अपने की बोर्ड से Alt key  के साथ 255 को दबाएँ तो क्या होता है? यहाँ पर कोई कैरेक्टर बनने के बजाए एक ऐसा अक्षर बनता है जो की एक खाली स्‍पेस की तरह होता है और जब वही खाली स्‍पेस जैसा अक्षर आप आप किसी फाइल के रीनेम करते वक्त दबाते हैं तो वह फाइल या फोल्‍डर बिना नाम का दिखता है पर ऐसा होता नहीं हैं। यहाँ पर एक बात को ध्यान में रखिए की जो स्‍पेशल कैरेक्टर Alt+255 से बनता है वह वास्तव में एक ब्‍लैंक स्‍पेस नहीं होता बल्कि उस की तरह दिखता है। यदि ऐसा होता तो आपका कंप्‍यूटर फाइल को रीनेम करते वक्त स्‍पेस-की को दबाते से ही बिना नाम का फोल्डर पाता। मगर ऐसा नहीं है। असल उसका भी एक नाम होता है भले ही हम उसे ना पढ पायें।

क्या है फ़िशिंग - what is phishing

what is phishing

जिस प्रकार मछली पकडने के लिये कॉटे में चारा लगाकर डाला जाता है और चारा खाने के लालच या धोखे में आकर मछली कॉटें में फंस जाती है। उसी प्रकार फ़िशिंग भी हैकर्स द्वारा इन्‍टरनेट पर नकली बेवसाइट या ईमेल के माध्‍यम से इन्‍टरनेट यूजर्स के साथ की गयी धोखेबाजी को कहते हैं। जिसमें वह आपकी निजी जानकारी को धोखेबाजी के माध्‍यम से चुरा लेते हैं और उसका गलत उपयोग करते हैं। 
यह अपराधी फ़िशिंग के माध्‍यम से आपको नकली ईमेल या संदेश भेजते हैं, जो किसी प्रतिष्ठित कम्‍पनी, आपकी बैंक, आपकी क्रेडिट कार्ड कम्‍पनी, ऑनलाइन शॉपिंग की तरह मिलते-जुलते होते हैं, अगर आप सतर्क नहीं हैं तो आप इनके झॉसे में जल्‍द ही आ जाते हैं। इन नकली ईमेल या संदेश का उद्देश्‍य से आपकी PII यानी पर्सनल आइडेंटिफाइएबल इन्फ़ॉर्मेशन को चुराना है। पर्सनल आइडेंटिफाइएबल इन्फ़ॉर्मेशन के अन्‍तर्गत आपकी निजी जानकारियॉ आती है जैसे - 
  1. आपका नाम 
  2. आपकी ईमेल यूजर आई0डी
  3. आपका पासवर्ड 
  4. आपका मोबाइल नम्‍बर या फोन नम्‍बर
  5. आपका पता
  6. बैंक खाता नम्‍बर
  7. एटीएम कार्ड, डेबिट कार्ड तथा क्रेडिट कार्ड नम्‍बर 
  8. एटीएम कार्ड, डेबिट कार्ड तथा क्रेडिट कार्ड आदि का वेलिडेशन कोड
  9. आपकी जन्‍मतिथि 

गूगल कैसे कमाता है पैसे


बच्चों से लेकर हर बड़ा-बुढ़ा इंसान गूगल का दिवाना है। गूगल ना हो तो लोग आज-कल जीना ही छोड़ देंगे। अपनी रोज़ की ज़िंदगी में लोग गूगल को ऐसे फ्री में जब चाहे तब यूज़ कर रहे हैं। अगर कभी कुछ समझ ना आए तो लोग किसी और से राय नहीं बल्कि गूगल से राय लेते हैं।
गूगल कंपनी अपने यूजर्स को सर्विसेस फ्री में देती है, लेकिन फिर भी दुनिया की टॉप रेवेन्यु कमाने वाली कंपनियों में से एक है। क्या आप जानते हैं कि गूगल अपने यूजर्स को फ्री सर्विस देने के बाद भी करोड़ों कैसे कमा लेती है? हम जिन सेवाओं को मुफ्त समझते हैं, गूगल उन्हीं के बल पर कहीं और से कमाई करती है। अन्य कंपनियां हमारे बारे में जानकारियां गूगल से खरीदती हैं या उसे अपने विज्ञापनों के लिए पैसा देती हैं। विज्ञापन पर हर क्लिक के लिए गूगल चंद सेंट से लेकर सैकड़ों डॉलर तक वसूल करती है।
techaunty.com आपको बताती है कि सिर्फ एक मिनट में कितना कमाती है गूगल:
Gizmodo Australia वेबसाइट के मुताबिक, साल 2014 में हर मिनट गूगल 149,288 डॉलर (लगभग- 99 लाख रुपए) का रेवेन्यू जनरेट करती है। जिसमें से प्रॉफिट 23509 डॉलर (लगभग 15 लाख रुपए) है।
विज्ञापन से होती है 97 प्रतिशत कमाई: रिपोर्ट के अनुसार 2015 की Q2 (दूसरी तिमाही) में गूगल की कुल कमाई 17.3 बिलियन डॉलर (लगभग 109284.1 करोड़ रुपए) थी। इसमें से 97 प्रतिशत सिर्फ विज्ञापनों से आया था। गूगल की एडवर्टाइजिंग स्ट्रैटजी में कीवर्ड्स के हिसाब से भी पैसे कमाए जाते हैं। wordstream.com के आर्टिकल के हिसाब से 20 सबसे एक्सपेंसिव कीवर्ड्स में से पहला इन्श्योरेंस (insurance) है। इसके बाद लोन (loan) कीवर्ड दूसरे नंबर पर है। (ये आंकड़े बदलते भी रहते हैं।)

ब्लॉग क्या है और ब्लॉग से कमाई

इन दिनों लोग ब्लॉग का काफी गुनगान करते नज़र आ रहे हैं। घर बैठे लोग अपना ब्लॉग लिख रहे और ढेरों पैसा कमाए चले जा रहे हैं। यह बहुत कम लोग जानते हैं कि ब्लॉग शब्द अंग्रेजी के “वेब-ब्लॉग” का ही संक्षिप्त रूप है, जिसकी शुरुआत 1998 ई. में हुई। यह कहना गलत नहीं होगा कि ब्लॉग वेब-दुनिया पर उपलब्ध एक ऐसा प्लेटफॉर्म बन गया है जहाँ आप एक लेखक के रूप में अपनी बातों को पूरी दुनिया के सामने रख सकते हैं। ब्लॉग लिखना ही ‘ब्लॉगिंग’ कहलाता है और लिखने वाला एक ‘ब्लॉगर’।
आइए आपको बताते हैं ब्लॉग से जुड़े कुछ खास टर्मस (Terms):-
1. ब्लॉग-होस्ट (blog-hosting): ब्लॉग-होस्ट एक ऐसी जगह है जहाँ से आप अपने डोमेन (domain) को और फाइल-फोल्डर (file-folder) जैसे तमाम आवश्यक चीजों को नियंत्रित कर सकते हैं। जब आपको एक पेड-साईट बनाना होता है तो आपको डोमेन नेम और ब्लॉग होस्टिंग दोनों खरीदनी पड़ती हैं। देखा गया है कि ब्लॉग होस्टिंग प्रोवाइडर आपको एकीकृत “वर्डप्रेस-ब्लॉग” (wordpress blog) और “डोमेन नेम” (domain name) दोनों देते हैं। ब्लॉग-होस्टिंग प्रोवाइडर में मुख्यतः गो-डैडी (godaddy),  बिग-रॉक (bigrock),  ब्लू-होस्ट (bluehost)  जैसे नाम ज्यादा लोकप्रिय हैं।  Hostinger.in एक फ्री-होस्टिंग प्रोवाइडर (free hosting provider) है जिसमें आप फ्री अकाउंट बनाकर लिमिटेड वेब-स्पेस (limited web-space) के साथ अपना ब्लॉग बना सकते हैं।
2. फ्री ब्लॉगिंग (Free Blogging):  कई लोग इसी आशंका में रह जाते हैं कि ब्लॉगिंग करने में चार्ज लगेगा, जबकि ऐसा नहीं है,  ब्लॉगिंग करना बिल्कुल फ्री है। पर आजकल हर क्षेत्र में टर्म एंड कंडीशन का फंडा रहता है जो ब्लॉगिंग पर भी लागू होता है। फ्री ब्लॉग www.yourchosenname.blogprovidername.com  के फॉर्म में होगा।

3. ब्लॉग प्लैटफ़ोर्म (blog-platform): ब्लॉगर की दुनिया में “वर्डप्रेस” को सबसे अधिक सराहा जाता है क्योंकि वर्डप्रेस में बने ब्लॉग गूगल सर्च-फ़्रैन्डली होते हैं। वहीं अगर आपको अपने ब्लॉग-सब्जेक्ट पर अच्छी पकड़ है और आप लिखने की कला में माहिर हैं तो आप जल्द ही गूगल सर्च-इंजन में टॉप स्थान पाने लगेंगे जिससे पाठकों की भीड़ आपके ब्लॉग पर टूट पड़ेगी। अन्य ब्लॉग प्लेटफार्म प्रोवाइडर ब्लागस्पॉट, जूमला, ड्रुपल इत्यादि हैं। आप अपना ब्लॉग यहाँ बिल्कुल फ्री बनाकर कालांतर में इन्हें पैसे देकर कस्टम डोमेन और अथाह वेब-स्पेस पा सकते हैं।
उपर ज़िक्र किए गए टर्मस को जानने के बाद अब आपके जहन में यह सवाल ज़रूर आ रहा होगा कि आपका ब्लॉग पढ़ेगा कौन? यह सवाल अपनी जगह बिल्कुल सही है। जिस इंसान को दुनिया जानती ही ना हो उसका लिखा ब्लॉग कोई क्यों पढ़ना चाहेगा? लोग ब्लॉग पढेंगे तो अमिताभ बच्चन और नरेंद्र मोदी की,  भला किसी आम इंसान की क्यों? आप अगर ऐसा सोच रहे हैं तो यह एक बिल्कुल गलत सोच है। आपके लिखने की कला और आपका क्रिएटिव माईंड आपको दुनिया में एक नई पहचान दे सकता है। इस वेब-दुनिया में पढ़े-लिखे रिडर्स (पाठकों) की कोई कमी नहीं है। आपका टेक्निकल ज्ञान, आपकी पाक कला, औरों को सहयोग देने का आपका व्यक्तित्व, आपकी आवाज़ आपको ब्लॉगिंग के उस शिखर पर पहुँचा सकती है जहाँ आप स्वयं को एक सेलिब्रिटी से कम नहीं आकेंगे।
ब्लॉग से कमाई, जानें कैसे?
ब्लॉगिंग की दुनिया आपको नाम के अलावा खूब दौलत भी देने में सक्षम है। ब्लॉगिंग के जरिए पैसे कमाने के कई साधन हैं। यह आपके क्रिएटिव स्किल पर निर्भर करता है कि आप अपने ब्लॉग पर आने वाले ऑडियंस (वियूअर्स) को किस तरह अपने आर्टिकल में खो जाने में मजबूर कर देते हैं कि वह आपको कुछ आर्थिक सहयोग देकर ही आपके ब्लॉग से बाहर निकले। आपको बता दें कि “गूगल ऐडसेन्स” पैसा कमाने का सबसे प्रभावशाली जरिया है। गूगल एडसेंस आपके ब्लॉग को सबसे पहले जाँचेगा फिर परखेगा। यदि उसे आपका ब्लॉग अच्छा लगे तो वह आपके अकाउंट को अप्रूव करके आपके पोस्टल अड्रेस पर एक कोड भेजता है जिसे आपको अपने ऐडसेंस अकाउंट पर डालना होता है। फिर आप अपने ब्लॉग पोस्ट पर गूगल ऐडसेंस (google adsense earning) का ऐड-कोड डालकर प्रति यूजर क्लिक से हर महीने एक सैलरीड पर्सन से भी अधिक कमा सकते हैं।
ध्यान दें : ब्लॉगिंग को कोई पैसा कमाने का तरीका नहीं बल्कि एक पैशन के रूप में देखें। पैसे आपको खूब मिलेंगे पर पैसे के बाहर भी एक दुनिया है। यदि हम ब्लॉगिंग को सिर्फ कमाई का जरिया बना दें तो हमारा ब्लॉग एक बाजारू ब्लॉग ही रह जाएगा। हमें अपने कंटेंट पर ध्यान देना बेहद जरूरी है। ऐसा होने पर लोग स्वयं आपके ब्लॉग पर खिंचे चले आएंगे और जाहिर है कि कमाई भी खूब होगी और आपको इस अरबों की भीड़ में एक ख़ास पहचान भी मिल जाएगी।

Tuesday, 7 June 2016

फेसबुक सीईओ जकरबर्ग का ट्विटर अकाउंट हैक


दुनिया की दिग्गज सोशल नेटवर्किंग साइट फेसबुक चलाने वाले मार्क जकरबर्ग का ही सोशलमीडिया अकाउंट सुरक्षित नहीं है। बीते सप्ताहांत में जकरबर्ग के ट्विटर और पिनट्रेस्ट अकाउंट हैक कर लिए गए। दावा उनके इंस्टाग्राम अकाउंट को हैक करने का भी किया गया था, लेकिन वह खबर झूठी निकली। 

हैकर्स ग्रुप अवरमाइन टीम (OurMine Team) ने जकरबर्ग के सोशल मीडिया खातों को हैक करने का दावा किया। इस पर ग्रुप का ट्विटर अकाउंट रद्द कर दिया गया है। अवरमाइन टीम के मुताबिक उसने ट्विटर के जरिए जकरबर्ग के सोशल मीडिया खाते हैक किए थे।

हालांकि, अभी यह पता नहीं चल सका है कि अवरमाइन टीम ने हैकिंग को कैसे अंजाम दिया। अवरमाइन टीम ने दावा किया है कि उन्होंने लिंक्डइन पासवर्ड के जरिए अकाउंट हैक करने में सफलता पाई। ये वो लिंक्डइन पासवर्ड था, जो साल 2012 की गए लाखों लिंक्डइन खातों में शामिल था।

जकरबर्ग ने साल 2012 से अपने टविटर खाते से कोई ट्वीट नहीं किया। टेक्नोलॉजी वेबसाइट वेंचरबीट के मुताबिक घटना के बाद आवरमाइन का ट्विटर खाता बंद है। वहीं, आवरमाइन ने एक नया ट्विटर खाता बनाया है।

हैकर ग्रुप के ट्विटर हैंडल पर 40,000 से ज्यादा फॉलोवर्स हैं और इस ग्रुप ने मार्क जकरबर्ग के ट्विटर अकाउंट से ट्वीट किय गया है। हैकर ग्रुप ने ट्वीट में लिखा, "हे मार्क हमने सिक्योरिटी टेस्टिंग के लिए आपके ट्विटर, 'इंस्टाग्राम और पिंट्रेस्ट अकाउंट को हैक कर लिया है।" प्लीज हमें मैसेज करें।'

लिंक्ड इस ग्रुप के मुताबिक मार्क जकरबर्ग के लिंक्डइन अकाउंट का पासवर्ड dadada था, जिसे उन्होंने डिकोड किया।

Sunday, 5 June 2016

आज से लागू नया टैक्स, जानिए, ‌आखिर क्या है गूगल टैक्स

'गूगल टैक्स' ने ऑनलाइन दुनिया में खलबली मचा दी है। ऑनलाइन विज्ञापन देने वाली कंपनियों के लिए ये टैक्स आज से लागू हो गया है। कई टेक्नोलॉजी कंपनियां अपने विज्ञापन सिर्फ ऑनलाइन ही देती हैं। इस 'गूगल टैक्स' से अब इन कंपनियों को सरकार टैक्स के दायरे में लाने की कोशिश कर रही है।
फ़ेसबुक और गूगल पर जो भी विज्ञापन देते हैं उनके लिए ये बुरी खबर है क्योंकि अब उन्हें छह फीसद टैक्स देना पड़ सकता है।

गूगल जैसी कंपनी हर सर्च और ऑनलाइन विज्ञापन पर पैसा बनाती है। सरकार की कोशिश है कि कंपनियों को इंटरनेट पर विज्ञापनों से होने वाले फायदे पर वो टैक्स लगाए। जो भी भारतीय कंपनियां अब गूगल और फ़ेसबुक पर विज्ञापन देंगी, उन्हें टैक्स के रूप में पैसे सरकार को देने पड़ेंगे।

यूरोप के कई देशों में सरकारें ऐसा ही टैक्स लगाती हैं। सरकार की प्रत्यक्ष कर की सबसे बड़ी संस्था सेंट्रल बोर्ड ऑफ़ डायरेक्ट टैक्सेज (सीबीडीटी) कई महीनों से इसकी तैयारी कर रहा था। डिजिटल दुनिया में हो रहे मुनाफे पर टैक्स लगाने की ये सरकार की पहली कोशिश है।

इस टैक्स का क्या है मकसद

हाल में सरकार ने डिजिटल इंडिया और स्टार्ट अप इंडिया नाम के कार्यक्रम शुरू किए हैं, जिनके तहत छोटी कंपनियों को बढ़ावा दिया जा रहा है। लेकिन 'गूगल टैक्स' से ऐसी कंपनियों के बीच जो उत्साह दिखाई दे रहा था वो थोड़ा फीका पड़ सकता है। फिलहाल इसे डिजिटल विज्ञापनों की श्रेणी के लिए लगाया गया है। लेकिन उम्मीद ये की जा रही है कि इसे दूसरी सर्विस के लिए भी बढ़ाया जा सकता है।

1994 में बार सरकार ने अलग-अलग सर्विस पर टैक्स लगाना शुरू किया था। 1997 में जब तब के वित्त मंत्री ने बजट की घोषणा की थी तब सरकार को सर्विस टैक्स से सिर्फ 800 करोड़ रुपए मिलते थे। अब 10 लाख से ज़्यादा लोग सर्विस टैक्स के तहत अपनी जानकारी सरकार को देते हैं। सर्विस टैक्स तब पांच फ़ीसद था और आज से बढ़कर 15 फीसदी हो गया है। 
सर्विस टैक्स से सरकार की कमाई अब डेढ़ लाख करोड़ रुपए से भी ज़्यादा है।

साल 1994 में सरकार ने चुने हुए सर्विस पर ये टैक्स लगाया था। धीरे धीरे इस लिस्ट को बढ़ा दिया गया है। अब टेलीकॉम, इंटरनेट, एयर कंडीशन रेस्टोरेंट और उसके जैसी सौ से भी ज़्यादा सेवाओं पर सरकार टैक्स लगाती है।

सेंट्रल बोर्ड ऑफ़ एक्साइज एंड कस्टम्स की टैक्स रिसर्च यूनिट ने ऐसी कई और सर्विस की सूची तैयार की है जिसपर आने वाले दिनों में टैक्स लगाया जा सकता है।

गूगल टैक्स लगाकर सरकार ऑनलाइन बिज़नस पर अपनी नज़र रख कर कमाई का भी स्रोत बनाना चाहती है। चूंकि गूगल, फेसबुक या दूसरी कंपनियां भारत में सर्विस पर टैक्स नहीं देती हैं या नहीं के बराबर देती हैं, इसलिए सरकार को आम बोलचाल में कहे जाने वाले 'गूगल टैक्स' का रास्ता अख्तियार करना पड़ा।

Whatsapp Status in Hindi

  • वो जो दो पल थे तुम्हारी और मेरी मुस्कान के बीच … बस वहीँ कहीं इश्क़ ने जगह बना ली..
  • सुन‬👂पगली 👰 तेरा दिल ❤भी धड़केगा… तेरी आँख 👀 भी फड़केगी..अपनी ऐसी ‪आदत डालूँगा ‬…के हर पल ‪‎मुझसे मिलने‬ के लिये ‪तड़पेगी‬..
  • जाने क्या कशिश है उसकी मदहोंश आँखों में, नजर अंदाज जितना करो … नज़र उस पे ही पड़ती है….
  • कहतें हैं कि मोहबत एक बार होती है..पर मैं जब जब उसे देखता हूँ..मुझे हर बार होती है॥
  • क्यो ना गुरूर करू मै अपने आप पे….मुझे उसने चाहा जिसके चाहने वाले हजारो थे!
  • सिर्फ दो ही वक़्त पर उसका साथ चाहिए, एक तो अभी और एक हमेशा के लिये..
  • ना pimple वाली के लिये, ना dimple वाली के लिये, ये photo है सिर्फ अपनी simple वाली के लिये
  • ना हीरों की तमन्ना है और ना परियों पे मरता हूँ.. वो एक “भोली” सी लडकी हे जिसे मैं मोहब्बत करता हूँ !!
  • गर्मी तो बोहत पढ़ रही है। फिर भी उनका दिल पिघलने का नाम ही नहीं ले रहा ।

जानें साइबर क्राइम के बारे में - What is Cyber Crime


भारत इंटरनेट इस्‍तेमाल करने वाला दुनियॉ का तीसरा देश है। आप अपने कंप्‍यूटर, मोबाइल आदि से कहीं न कहीं इंटरनेट से जुडें हैं इसलिये साइबर क्राइम, साइबर अपराध, साइबर-आतंकवाद जैसे शब्‍दों के बारे में अापका जानना बहुत जरूरी है।

साइबर क्राइम कई प्रकार का होता है - 
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निजी जानकारी चुराना - 

इसे साधारण भाषा में  या हैकिंग करते हैं, इससे साइबर अपराधी आपके कंप्‍यूटर नेटवर्क में प्रवेश कर आपकी निजी जानकारी जैसे - आपका नेटबैंकिग पासवर्ड, आपके क्रेडिट कार्ड की जानकारी आदि। इसी का दूसरा रूप होता है फिंशिग, जिसमें आपको फर्जी ईमेल अादि भेजकर ठगा जाता सकता है,




वायरस फैलाना 

साइबर अपराधी कुछ ऐसे सॉफ्टवेयर आपके कम्प्युटर पर भेजते हैं जिसमें वायरस छिपे हो सकते हैं, इनमें वायरस, वर्म, टार्जन हॉर्स, लॉजिक हॉर्स आदि वायरस शामिल हैं, यह आपके कंप्‍यूटर का काफी हानि पहुॅचा सकते हैं।


सॉफ्टवेयर पाइरेसी

सॉफ्टवेयर की नकली तैयार कर सस्‍ते दामों में बेचना भी साइबर क्राइम के अन्‍तर्गत आता है, इससे साफ्टवेयर कम्पनियों को भारी नुकसान उठाना पड़ता है साथ ही साथ आपके कीमती उपकरण भी ठीक से काम नहीं करते हैं। 

फर्जी बैंक कॉल- 

आपको जाली ईमेल, मैसेज या फोनकॉल प्राप्‍त हो जो आपकी बैंक जैसा लगे जिसमें आपसे पूछा जाये कि आपके एटीएम नंबर और पासवर्ड की आवश्यकता है और यदि आपके द्वारा यह जानकारी नहीं दी गयी तो आपको खाता बन्‍द कर दिया जायेगा या इस लिंक पर कर सूचना दें। याद रखें किसी भी बैंक द्वारा ऐसी जानकारी कभी भी इस तरह से नहीं मॉगी जाती है और भूलकर भी अपनी किसी भी इस प्रकार की जानकारी को इन्‍टरनेट या फोनकॉल या मैसेज के माध्‍यम से नहीं बताये। 

सोशल नेटवर्किग साइटों पर अफवाह फैलाना 

बहुत से लोग सोशल नेटवर्किग साइटों पर सामाजिक, वैचारिक, धार्मिक और राजनैतिक अफवाह फैलाने का काम करते हैं, लेकिन यूजर्स उनके इरादें समझ नहीं पाते हैं और जाने-अनजाने में ऐसे लिंक्‍स को शेयर करते रहते हैं, लेकिन यह भी साइबर अपराध और साइबर-आतंकवाद की श्रेणी में आता है। 


साइबर बुलिंग

फेसबुक जैसी सोशल नेटवर्किंग पर अशोभनीय कमेंट करना, इंटरनेट पर धमकियॉ देना किसी का इस स्‍तर तक मजाक बनाना कि तंग हो जाये, इंटरनेट पर दूसरों के सामने शर्मिंदा करना, इसे साइबर बुलिंग कहते हैं। अक्‍सर बच्‍चे इसका शिकार हाेते हैं।

What is virus and antivirus in hindi - क्‍या होते हैं वायरस और एन्‍टी वायरस


What is virus in Computers

वायरस बहुत माहिर साफ्टवेयर प्रोग्रामों दवारा कुछ ऐसे साफ्टवेटर डिजाइन किये जाते है। जो किसी भी कम्प्यूटर में प्रवेश कर सकते है तथा उसके डाटा को खराब कर सकते है और कुछ ही समय में आपके कम्प्यूटर पर कब्जा कर लेते है ओैर विन्डो को खराब या करप्‍ट कर देते है। एन्टीवाइरस कम्प्यूटर में इस्‍टाल करने से वह कम्प्यूटर के अन्दर छिपे वाइरस को ढूढता लेता है उसे क्लीन कर देता है।

What is Antivirus and How it works

एन्टीवाइरस के पास सभी वाइरसों नामों की एक लिस्ट होती है जब हम उसको इंस्टाल करते है वो वह अपनी लिस्ट से वाइरसों के नामों को मैच करता है और मैच हो जाने पर वह उन्हें डिलीट कर देता है एन्टीवाइरस अच्छी तरह से काम करे इसके लिए जरूरी है कि उसे इन्टरनेट के माध्यम से उसे डेली अपडेट किया जाए।

How to Protect Computer from viruses

वायरस से बचाव:- किसी भी लुभावने व विज्ञापनों वाले र्इ-मेल को कम्प्यूटर में नही खोलना चाहिए जिस र्इ-मेल आइडी को नही जानते है उस र्इ-मेल आइडी को नही खोलना चाहिए। नकली और पाइरेटेड सी0 डी0 व डी0वी0डी0 का यूज कम्प्यूटर में नही करना चाहिए। किसी दूसरे कम्प्यूटर की पेन ड्राइव अपने कम्प्यूटर में लगाये तो उसे एन्‍टीवायरस दवारा स्केन कर लेना चहिए।

What is mega pixels and pixels पिक्‍सल और मेगा पिक्‍सल क्‍या होता है


Photoshop का काम करने वाले लोगों pixel, megapixel शब्‍द से वास्‍ता पडता ही रहता होगा, साथ ही Digital Camera या Mobile खरीदते समय भी megapixel का ध्‍यान रखा जाता है। 
इतना तो हम सभी लोग जानते ही हैं कि  pixelऔर megapixel से Camera, Photo और Video की क्‍वालिटी ऑकी जाती है, जितने ज्‍यादा pixel और megapixel उतना अच्‍छा, लेकिन क्‍या आपने कभी आपने सोचा है कि आखिर यह पिक्‍सल और मेगा पिक्‍सल होते क्‍या हैं, अगर नहीं तो अब भी कौन सी देर हुई है, आइये जानने की कोशिश करते हैं -
चलिये शुरू से शुरू करते हैं आज से 4 या 5 साल पहले के जो कैमरे आते थे, उनसे लिये गये फोटोग्राफ की डिटेल इतनी अच्‍छी नहीं होती थी जितनी आज के कैमरे से खीचें गये फोटो की, अब सीधी से बात है आप कहेगें कि उस समय कम पिक्‍सल के कैमरे होते थे, लेकिन आखिर पिक्‍सल कम होने से फोटो की डिटेल पर ही प्रभाव क्‍यों पडता है, कभी सोचा है 
असल में pixel से ही मिलकर हमारे कम्‍प्‍यूटर, टीवी या मोबाइल की स्‍क्रीन बनी होती है, अगर सही शब्‍दों में कहें तो पिक्‍सल किसी भी स्‍क्रीन या फोटो की सबसे छोटी इकाई होता है, कोई भी फोटो या स्‍क्रीन इन्‍हीं पिक्‍सल से मिलकर बनी होती है
अगर आप अपने घर के टीवी स्‍क्रीन को मेगाफाइन ग्‍लास से देखेगें तो आपको छोटे-छोटे रंगीन ब्‍लाक दिखाई देगें, इन्‍हीं ब्‍लाक से मिलकर सभी चिञ और रंग बनते हैं, अगर आपके घर पर अगर इंकजैट प्रिन्‍टर है तो आपको पता होगा कि उसमें केवल तीन रंगों का ही प्रयोग होता है, आपका प्रिन्‍टर इन्‍हीं तीन रंगों को मिलाकर कोई भी रंगीन चिञ पलभर में तैयार कर देता है, प्रिटिंग करते समय आपके प्रिन्‍टर द्वारा कार्टेज से रंगों को स्‍प्रे किया जाता है, जिससे रंग छोटे महीन बिन्‍दुओं में कागज पर छपते जाते हैं असल यही पिक्‍सल हैं, 
अब बात आती है कि पिक्‍सल को नापते कैसे हैं और यह 1.0  और 3.1 आदि मेगापिक्‍सल क्‍या होता है असल में 10 लाख पिक्‍सल से मिलकर 1 मेगा पिक्‍सल बनता है, यानि 1 मेगा पिक्‍सल में 10 लाख पिक्‍सल होते हैं, आशा है आप समझ गये होगें पिक्‍सल और मेगा पिक्‍सल के बारे में .........................

कहॉ से आया एंड्रॉयड

कहॉ से आया एंड्रॉयड

यह जो आप हरे रंग का सुन्‍दर का चित्र् देख रहे हैं, यह और कोई नहीं बल्कि आज के इस दौर के सबसे प्रचलित Android (operating system) एंड्रॉयड आपरेटिंग सिस्‍टम का लोगो यानी प्रतीक चिन्‍ह है। एंड्रॉयड मोबाइल फोन की दुनिया का सबसे तेजी से प्र‍गति करता आपरेटिंग सिस्‍टम है।

क्‍या है जो एंड्रॉयड को सबसे अलग बनाता है

एंड्रॉयड का सबसे बडा गुण जो इसे और आपरेटिंग सिस्‍टम से अलग बनाता है वह है Modification (संशोधन) यानी आप एंड्रॉयड में अपनी जरूरत के हिसाब से कोई भी बदलाव कर सकते हो, जिससे प्रोग्रामरों और डेवलपरों को एंड्रॉयड के लिये एप्‍लीकेशन बनाने में जो आसानी होती है, वो और किसी आपरेटिंग सिस्‍टम में नहीं होती। इसी कारण बहुत प्रतिष्ठित कम्‍पनियों जैसे नोकिया, ब्‍लैकबैरी और एप्‍पल को छोडकर अन्‍य सभी कम्‍पनियों ने एंड्रॉयड सिस्‍टम पर चलने वाले फोन और टेबलेट बाजार में उतार दिये हैं। जिससे मॅहगे और ब्रान्‍डेड फोन के फीचर हर रेन्‍ज के फोन में उपलब्‍ध हैं, और लगभग 700,000 एप्‍लीकेशन, गेम्‍स, भी एंड्रॉयड के लिये उपलब्‍ध है।

क्‍या है यह एंड्रॉयड

बहुत लोगों का कहना है कि आखिर क्‍या है यह एंड्रॉयड, कहॉ से मिलता है और क्‍या कीमत है इसकी ? तो सुनिये, एंड्रॉयड लाइनेक्‍स पर आधारित मोबाइल फोन और टेबलेट के लिये बनाया गया प्रचालन तंञ या आपरेटिंग सिस्‍टम हैा जिसको गूगल के द्वारा बनाया गया है, यह पूरी तरह से नि शुल्‍क है और यदि आप चाहें तो इसे यहॉ क्लिक कर डाउनलोड कर सकते हैं।

एंड्रॉयड का इतिहास

एंड्रॉयड आपरेटिंग सिस्‍टम अपने दिलचस्‍प नामों की वजह से भी लो‍कप्रिय है, सन् ३० अप्रैल, २००९ को एंड्रॉयड का पहला कमर्शियल वर्जन 1.5 मार्केट में लान्‍च किया गया जिसका नाम था, कपकेक। इसके बाद १५ सितम्‍बर, २००९ को डोनेट नाम से एंड्रॉयड 1.6 लान्‍च किया गया। इसी वर्ष २६ अक्‍टूबर को अक्लेर नाम से
एंड्रॉयड 2.0-2.1 लान्‍च किया गया। वर्ष २०१० में एंड्रॉयड 2.2 फ्रोयो के नाम से लॉच किया गया तथा दिसम्‍बर, २०१० में जिन्‍जर ब्रैड 2.3 लॉच किया गया, वर्ष २०११ फरवरी में जिन्‍जर ब्रैड का संशोधित वर्जन 2.3.3-2.3.7 लान्‍च किया गया, जो काफी लोकप्रिय रहा, इसके बाद मई, २०११ में हनीकाम्‍ब 3.1 और जुलाई में हनीकाम्‍ब 3.2 लान्‍च किया गया और इसी वर्ष दिसम्‍बर में सर्वाधिक लोकप्रिय वर्जन आइसक्रीम सैन्‍डविच 4.0.3 तथा 4.04 लॉच किया गया, यह वर्जन खासतौर पर टेबलेट को ध्‍यान में रखकर बनाया गया था, इसके बाद वर्ष २०१२ में जैलीबीन के नाम से दो वर्जन और भी लान्‍च किये गये 4.1x और 4.2x। इन सभी वर्जन को लोगों ने खूब पसंद किया तथा भारत में सस्‍ते स्‍मार्ट फोन का दौर आया। इसी वर्ष २०१३ में गूगल एंड्रॉयड के नये वर्जन जैलीबीन 4.3 को लॉच किया जो बहुत लोकप्रिय हुआ है।


एंड्रायड की लोकप्रियता का अनुमान इसी बात से लगाया जा सकता है कि गूगल के अनुसार यह ऑपरेटिंग सिस्टम दुनियॉ की लगभग 1 बिलियन से ज्‍यादा स्‍मार्ट फोन और टेबलेट में प्रयोग किया जा रहा है, आइसक्रीम सैंडविच और जेली बीन के आने के काफी दिनों तक गूगल शान्‍त रहा और अब उसका नया ओपरेटिंग सिस्‍टम किटकैट आपके बीच अा गया है। अब अागे इंतजार कीजिये कि कौन सा टेस्‍टी वर्जन आपके मोबाइल को मीठा करने के लिये आता है।

What is 4G Technology in Hindi - क्या है 4 जी टेक्नोलॉजी

What is 4G Technology in Hindi - क्या है 4 जी टेक्नोलॉजी

अभी हाल ही में 4जी सेवा लॉच हुई है जो काफी चर्चा का विषय बनी हुई है। तो क्‍या है ऐसा खास इस 4जी टेक्नोलॉजी में और यह 1जी, 2जी और 3जी से कितनी दमदार टेक्नोलॉजी है। आईये जानते हैं-

क्या है 4 जी टेक्नोलॉजी - 

1 जी

मोबाइल टेक्नोलॉजी के चौथी पीढी यानि जनरेशन है 4 जी टेक्नोलॉजी। चौथी जनरेशन इसलिये क्‍योंकि इससे पहले इसके तीन जनेरशन और भी आ चुके हैं 1जी, 2जी और 3जी। लेकिन 1जी से पहले क्‍या था ? 1जी से पहले था अापका तारों वाला टेलीफोन। 1जी टेक्नोलॉजी से ही दुनिया का परिचय वायरलेस टेलीफोन से यानि मोबाइल से हुआ, जो बिना तार के कहीं भी आ जा सकता था। लेकिन एनालॉग सिग्नल पर आधारित 1जी टेक्नोलॉजी में कुछ खामियॉ भी थीं जैसे- मोबाइल में खराब आवाज आना, मोबाइल हैण्‍डसेट का बडा अाकार और वजन। साथ ही इसमें डेटा की रफ्तार बहुत कम थी केवल 2.4 kbps, यानि अगर अापको एक 4-5MB का गाना डाउनलोड करना हो तो भी घण्‍टों लग जायें।

2 जी

इन खामियों को दूर किया 2जी टेक्नोलॉजी ने यानि वायरलैस मोबाइल फोन की दूसरी जनरेशन ने। यह तकनीक डिजीटल सिग्नल पर आधारित है, इससे आप फोनकॉल के साथ-साथ इंटरनेट का आनंद भी आराम से ले सकते हैं इस तकनीक के आने पर मोबाइल टेक्नोलॉजी में जैसे क्रांती अा गयी और अभी भी भारत में ज्‍यादातर लोग 2जी टेक्नोलॉजी का ही इस्‍तेमाल कर रहे हैं। लेकिन 2जी की डाटा ट्रांसफर स्‍पीड 236 kbps है, जिससे पिक्चर मैसेज, टेक्स मैसेज और मल्टीमीडिया मैसेज बडें आराम से भेजे जा सकते हैं। लेकिन वीडियो कॉल, वीडियो कांफ्रेसिंग और मोबाइल टेलीविजन के मामले में 2जी सफल नहीं है।

3 जी

बारी अायी 3जी की इसकी डाटा ट्रांसफर स्‍पीड 21 mbps है, जो 2जी के मुकाबले बहुत ज्‍यादा है। इसनें मोबाइल यूजर्स के लिये वीडियो कॉल, वीडियो कांफ्रेसिंग और मोबाइल टेलीविजन के रास्‍ते खोल दिये। विज्ञापनों में भी 3जी के इसी फीचर को दिखाया जाता था, 3जी के आने के बाद मोबाइल और लैपटॉप के लिये स्‍पेशल ऑनलाइन टीवी एप्‍लीकेशन आने लगीं, साथ ही साथ फोन में फ्रंट फेसिंग कैमरा भी आने लगा वीडियो कॉल करने के लिये। जिससे आजकल आप सेल्फ़ी लेते हो। लेकिन याद रहे कि ये सेल्फ़ी वाला कैमरा 3जी की देन है।

4 जी

अभी 3जी का मजा ठीक से इंडिया वाले ले ही नहीं पाये थे कि 4 जी आ धमका, आपकाे जानकर आश्‍चर्य होगा कि 2015 में आने वाली इस 4 जी टेक्नोलॉजी की श्‍ाुरूआत साल 2000 में ही हो गयी थी। वैसे यह तकनीक 3जी के मुकाबले लगभग 5-10 गुना तेज है यानि इसमें इंटरनेट की स्‍पीड 100 Mbps से 1Gbps के लगभग होगी। यानि स्मार्टफोन पर बिना बफरिंग के टीवी देखना, विडियो कॉल करना, मूवी, सॉफ्टवेयर, गेम्‍स डाउनलोड करना चु‍टकियाें का काम होगा। जिस तरह आप अपने कंम्‍प्‍यूटर से कोई फाइल कॉपी करते हो बिलकुल वैसे ही लगेगा, लेकिन वो दिन भी बहुत याद आयेगें जब किसी मूवी को रात को डाउनलोड पर लगा कर सोते थे और सुबह तक सोचते थे कि डाउनलोड हुई होगी या नहीं और डाउनलोड होने पर बहुत खुश हाेते थे। तो 4 जी टेक्नोलॉजी का स्‍वागत कीजिये और इसका आनंद लीजिये।

10 Important Facts about Google in Hindi - गूगल के बारे में 10 महत्वपूर्ण तथ्य

10 Important Facts about Google in Hindi - गूगल के बारे में 10 महत्वपूर्ण तथ्य

दुनिया के बहुत से लोगों के लिये इंटरनेट की शुरूआत गूगल से होती है अौर हो भी क्यों न हो गूगल कई सारी महत्वपूर्ण सेवायें लोगों को फ्री में उपलब्ध कराता है, क्या आप नहीं जानना चाहेगें गूगल के बारे वो महत्वपूर्ण तथ्य जो गूगल को दुनियॉ का सबसे बडा सर्च इंजन बनाते हैं - 

  1. गूगल की स्‍थापना 4 सितंबर 1998 को हुई थी। 
  2. गूगल पर दुनियॉ भर में लगभग 20 Trillion सर्च किये जाते हैं यानि 1 एक सेकेण्‍ड में गूगल पर 50 हजार सर्च होते हैं। 
  3. गूगल अपने यूजर्स से अपनी सर्विस का काेई पैसा चार्ज नहीं करता है तो फिर ये कमाता कहॉ से है, ये कमाई करता है विज्ञापनों से, जी हॉ गूगल की कमाई का 90 प्रतिशत हिस्सा उसके विज्ञापनों से अाता है।
  4. गूगल की प्रतिदिन की कमाई लगभग 5 अरब रूपये से भी ज्यादा है। जब तक आप अपनी पलक झपकायेगें तब तक गूगल लगभग 700 डालर कमा चुका होगा यानि 50 हजार रूपये। 
  5. सर्च करने पर आपको जो गूगल के नाम में जो शून्य दिखाई देते हैं उसके पीछे भी एक कारण है, असल में 1 पीछे 100 शून्य लगाने पर जो संख्या बनती है उसे तो उसे "Googol" कहते हैं, चाहे तो गूगल सर्च पर "Googol" सर्च करके भी देख सकते हैं। इस शब्द  से बना है "Google"। 
  6. अापको जानकार आश्चर्य होगा इस संख्या को मिल्टन सिरोटा ने केवल 9 वर्ष की अायु में बनाया था, तो गूगल के लिये मिल्टन सिरोटा को थैंक्यू तो बनता है। 
  7. लेकिन गूगल का नाम "Googol" क्यों नहीं रखा गया, "Google" क्यों रखा गया ? गूगल का यह नाम एक स्पेलिंग मिस्‍टेक है। टाइप करते समय "Googol" का "Google" टाइप हो गया और जन्म हुआ गूगल का। 
  8. गूगल पर किसी खास दिन दिखाई देने वाले चिञ को डूडल कहते हैं, अभी तक गूगल द्वारा 1000 हजार से ज्यादा डूडल बना चुका है। इनकी यह विशेषता होती है कि बनाये गये डूडल में गूगल का नाम छिपा रहता है
  9. गूगल की सबसे लोकप्रिय सेवा जीमेल की शुरूआत 1 अप्रेल 2004 को हुई थी, इस दिन दुनिया में अप्रैल फूल डे मनाया जाता है।
  10. गूगल ने 2006 में यूट्यूब को खरीदा था, आज यूट्यूब पर 1 मिनट में 60 घंटे की अवधि के वीडियो अपलोड किये जाते हैं, आपको जानकार आश्चर्य होगा कि एक महीने में दुनियॉ भर में यूट्यूब को 6 अरब घंटे देखा जाता है।

परम पहला भारतीय सुपर कंप्यूटर

PARAM Supercomputer in india in hindi 

Param Super Computer
तकनीक की शुरूआत भारत में भले ही देरी से हुई हाे ले‍किन सुपर कंप्यूटर के क्षेञ में भारत का नाम विश्व के टॉप 10 देशों की लिस्ट में अाता है अाइये जानते हैं भारत में सुपर कंप्यूटर की शुरूआत कैसे हुई-

1980 के दशक तक भारत के पास अपना सुपर कंप्यूटर नहीं था वह ऐसा दौर था जब भारत में तकनीकी युग की शुरूआत हो चुकी थी भारत अमेरिका से सुपर कंप्यूटर लेना चाहता था ले‍किन अमेरिका ने भारत को सुपर कंप्यूटर देने से इंकार कर दिया इसके पीछे कई वजह थीं अमेरिका नहीं चाहता था कि कोई उस‍की बराबरी कर सके। लेकिन भारत में सेंटर ऑफ डेवलपमेंट पुणे द्वारा "परम-8000" कंप्यूटर बनाकर दुनियॉ को दिखा दिया कि हम भी किसी से कम नहीं इसके बाद भारत ने सुपर कंप्यूटर "परम-8000" तीन देशों जर्मनी, यूके,और रूस को दिया।इसके बाद 1998 में सी-डेक द्वारा एक सुपर कंप्यूटर और बनाया गया जिसका नाम था "परम-10000",इसकी गणना क्ष्‍मता 1 खरब गणना प्रति सेकण्ड थी  अाज भारत का विश्व में सुपर कंप्यूटर के क्षेञ में नाम है। दुनियॉ के बेहतरी सुपर कंप्यूटर की सूची बनाई गयी है जिसकी  टॉप 10 लिस्ट में भारत का नाम चौथे नंबर पर है।

भारत के अन्य सुपर कंप्यूटर - India's other supercomputer

  • Aaditya - आदित्य 
  • Anupam - अनुपम 
  • PARAM Yuva - परम युवा 
  • PARAM Yuva II - परम युवा द्वितीय 
  • SAGA-220 - सागा 220 
  • EKA - एका 
  • Virgo - वर्गो 
  • Vikram-100 - विक्रम-100 
  • Cray XC40 - क्रे XC40 
  • Bhaskara - भास्कर
  • Pace - पेस
  • Flow solver - फ्लो सॉल्वर

दुनिया में सर्वश्रेष्ठ 5 सुपर कंप्यूटर की सूची - list of Best 5 supercomputers in the world


  1. तिअन्हे-1अ (एन यू डी टी), चीन
  2. ब्लू जीन/ एल सिस्टम (आईबीएम), यूएस
  3. ब्लू जीन/पी सिस्टम (आईबीएम), जर्मनी
  4. सिलिकॉन ग्राफिक्स (एसजीआई), न्यू मैक्सिको
  5. एका, सीआरएल (आर्म ऑफ टाटा सन्स), भारत

How to delete your Facebook account in hindi अपने फेसबुक एकाउन्‍ट को कैसे डिलीट करें

How to delete your Facebook account in hindi अपने फेसबुक एकाउन्‍ट को कैसे डिलीट करें

How to delete your Facebook account in hindi 
Facebook आज के दौर की बहुत प्रचलित सोशल networking वेव साइट है, हर कोई व्‍यक्ति चाहता है कि उसका एकाउन्‍ट Facebook पर हो, लेकिन कभी कभी वायरस (Virus) और हैकिंग की वजह से एकाउन्‍ट को डिलीट भी करना पड सकता है आइये जानते है कि अगर जरूरत पडे तो फेसबुक एकाउन्‍ट को कैसे डिलीट किया जाये-
  1. अपने फेसबुक एकाउन्‍ट को लॉग इन कीजिये। 
  2. अब general account setting  पर जाइये। 
  3. यहॉ Security Settings पर क्लिक कीजिये। 
  4. अब Deactivate your account. पर click कीजिये।
  5. आपका Facebook एकाउन्‍ट  Deactivate हो जायेगा। 

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अगर यह जानकारी आपको अच्‍छी लगी तो  हमें Comment के माध्‍यम से अवश्‍य अवगत करायें। 

क्‍या आप फेसबुक को लॉग आउट करना भूल गये हैं

भूलने की आदत, जो हम लोगों को अक्‍सर परेशानी में ला देती है, जैसे इन्‍टरनेट पर कई सारे एकाउन्‍ट होने पर पासवर्ड भूल जाना या आपने अक्‍सर अपना इन्‍टरनेट पैक खत्‍म होने पर अपने दोस्‍तों के फोन पर या साइबर कैफे में इन्‍टरनेट यूज करने पर अपने एकाउन्‍ट को लॉग आउट करना भूल जाना। पासवर्ड भूलने आप किसी तरह से उसे दोबारा प्राप्‍त कर सकते हैं लेकिन किसी दूसरे फोन या कम्‍प्‍यूटर पर लॉग आउट करना भूल जाना एक गम्‍भीर समस्‍या हो सकती है, क्‍योंकि ऐसा होने पर आपका एकाउन्‍ट सार्वजनिक हो जाता है कोई भी उसका दुरूपयोग कर सकता है, तो आईये जानते हैं कि अगर आपके साथ एेसा हो जाये तो क्‍या करें - 
अगर आप साइबर कैफे या किसी अन्‍य दूसरे कम्‍प्‍यूटर या मोबाइल पर अपने फेसबुक एकाउन्‍ट को लॉग आउट करना भूल गये हैं, तो चिन्‍ता की कोई बात नहीं आप उसे रिमोट लाॅग अाउट कर सकते हैं, जिससे वह आपके कम्‍प्‍यूटर के अलावा अन्‍य सभी डिवाइसों जिन से लॉग आउट हो जायेगा, इसके अलावा आपको यह जानकारी भी मिल जायेगी कि आपने पिछली बार कर लॉगइन किया गया था और किसी सिस्‍टम पर जैसे किसी मोबाइल और किसी डेस्‍कटाप इत्‍यादि- 
तो अगर आप भी अपने फेसबुक एकाउन्‍ट को किसी दूसरे कम्‍प्‍यूटर या फोन पर लॉग आउट करना भूल गये हैं तो .................
  • सबसे पहले अपने फेसबुक एकाउन्‍ट को ओपन कीजिये। 
  • मेन मेन्‍यू अोपन कीजिये।
  • Settings पर क्लिक कीजिये। 
  • इसके बाद Security पर क्लिक कीजिये। 
  • यहॉ अापको Where You're Logged in दिखाई देगा, इसके सामने Edit लिखा होगा इस पर क्लिक कीजिये। 

  • यहाॅ आपको सबसे ऊपर Current Session दिखाई देगा, इसके साथ-साथ आपको Location और Device Type भी दिखाई देगें। 
  • साथ ही नीचे आपको Desktop और Facebook for Android का भी आप्‍शन दिखाई देगा। 
  • इसके सब के सामने आपको End Activity को बटन भी दिखाई देगा, तो अगर आप कहीं गलती से फेसबुक को लॉग आउट करना भूल गये हैं तो End Activity को बटन को यूज करें या अगर एक साथ ही डिवाइस से लॉग आउट करना चाहते हैं तो सबसे Current Session के सामने दिये गये All End Activity का प्रयोग करें इससे एक साथ ही डिवाइस से फेसबुक लॉग आउट हो जायेगा।

Saturday, 4 June 2016

What is terabyte in hindi यह टैराबाइट क्‍या है

समय मापने के लिये सैकेण्‍ड, आवाज को नापने के लिये डेसीबल, दूरी को नापने के लिये मि0मि और वजन को नापने के लिये ग्राम जैसे मात्रक हैं, इसी प्रकार कम्‍प्‍यूटर की दुनिया में स्‍टोरेज क्षमता का नापने के लिये भी मात्रकों का निर्धारण किया गया है, आइये पहले कम्‍प्‍यूटर की दुनिया में स्‍टोरेज क्षमता के मात्रक-

सबसे लघु इकाइयों से शुरू करते है। कम्‍प्‍यूटर की मैमोरी की सबसे छोटी ईकाई होती है बिट (bit) जब चार बिट को मिला दिया जाता है तो निर्माण होता है तो उसे निब्‍बल (Nibble) कहते हैं यानी 1 निब्‍बल = 4 बिट बाइट (Byte) 8‍ बिट के एक समूह को बाइट कहते हैं।
सामान्‍यत एक जब आप एक अंक या अक्षर अपने कम्‍प्‍यूटर में टाइप करते हैं तो उसको एक बाइट से व्‍यक्‍त किया जाता है या सीधे शब्‍दों में कहें तो वह एक बाइट के बराबर जगह घेरता है। यानी 1 बाइट = 8 बिट = 2 निब्‍बल इस प्रकार लगभग 11099511627776 बाटइ के समूह को टैराबाइट कहा जाता है और एक टैराबाईट में लगभग 20 लाख एम0पी03 को स्‍टोर किया जा सकता है।

  • A kilobyte is 103 or 1,000 bytes.
  • A megabyte is 106 or 1,000,000 bytes. = 1024 kilobyte
  • A gigabyte is 109 or 1,000,000,000 bytes.= 1024 megabyte
  • A terabyte is 1012 or 1,000,000,000,000 bytes.= 1024 gigabyte
  • A petabyte is 1015 or 1,000,000,000,000,000 bytes.= 1024 terabyte
  • An exabyte is 1018 or 1,000,000,000,000,000,000 bytes.= 1024 petabyte
  • A zettabyte is 1021 or 1,000,000,000,000,000,000,000 bytes.= 1024 exabyte
  • A yottabyte is 1024 or 1,000,000,000,000,000,000,000,000 bytes. = 1024 zettabyte

Interesting Facts About Sundar Pichai - सुंदर पिचाई केे बारे में महत्‍वपूर्ण जानकारी

Sundar Pichai
Sunder Pichai

  1.  सुन्‍दर पिचई का असली नाम पिचाई सुंदराजन है
  2. सुंदर पिचाई का जन्म तमिलनाडु में 1972 में हुआ था
  3. सुंदर पिचाई ने IIT खड़गपुर से पढ़ाई की है
  4. पिचाई ने 2004 में सर्च टूलबार के टीम मेम्‍बर के रूप में गूगल ज्वाइन किया था 
  5. सुन्‍दर पिचई ने जीमेल और गूगल मैप ऐप्स तैयार किए जो रातोंरात लोकप्रिय हो गए
  6. इसके बाद पिचाई ने गूगल के सभी प्रोडक्ट्स के लिए एंड्रॉइड ऐप तैयार किए
  7. Google Chrome को बनाने का श्रेय भी सुन्‍दर पिचई को जाता हैै 
  8. 2013 के अंत में माइक्रोसॉफ्ट के सीईओ की दौड़ में भी सुंदर पिचाई शामिल थे हालांकि, बाद में CEO of Microsoft Satya Nadella बने
  9. आपको जानकारी आश्‍चर्य होगा कि सुंदर का बचपन में टेक्नोलाॅजी से लगाव बिल्कुल नही था वो अपने स्कूल की क्रिकेट टीम के कप्तान थे
  10. गूगल में काम करने  से पहले सुंदर पिचाई McKinsey & Company के मैनेजमेंट कंसल्टिंग सेल में काम किया करते थे

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